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Less known facts-
सैक्शन 45, भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) प्राइवेट और सरकारी हैन्डराईटिंग एक्सपर्ट दोनों के लिए है। एक प्राइवेट एक्सपर्ट भी सैक्शन 45, Indian Evidence Act मेंंअधिकृत है। माननीय अदालतें प्राइवेट एक्सपर्टस् को भी सैक्शन 45, भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत परमिट करती हैं। सरकारी हैन्डराईटिंग एक्सपर्ट भी रिटायर होने के बाद, प्राइवेट एक्सपर्ट की तरह ही काम करतेे हैं ।
Who is an independent or freelancer Forensic Document Expert? एक स्वतंत्र (प्राईवेट/फ्रीलांसर या इंडिपैंडेंट) फोरेंसिक डाक्युमेंट एक्सपर्ट या हैन्डराईटिंग एक्सपर्ट
कौन होता है?
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Under which provision of Law, opinions can be submitted by freelancer forensic handwriting experts?
वह किस कानून के तहत रिपोर्ट देता है?
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How one can start practicing as a freelancer or Independent Forensic Document /Handwriting /Fingerprint Expert?
कैसे फ्रीलांसर फोरेंसिक डाक्युमेंट एक्सपर्ट या हैंडराईटिंग /फिंगरप्रिन्ट एक्सपर्ट बना जा सकता है?
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लगभग 33 वर्षों से भारत ( दिल्ली, मुम्बई, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, उ.प्र.) व कई विदेशी न्यायालयों (इंग्लैंड ,मलेशिया, सिंगापुर, मॉरिशस) में एक फोरेंसिक एक्सपर्ट (फोरेंसिक डाक्युमेंट, हैन्डराईटिंग, फिंगर प्रिंट) का स्वतंत्र व्यवसाय करते हुये तथा साथ ही एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा उ.प्र. में 18 वर्षों से फोरेंसिक साइंस पढा़ते हुये मैनें यह महसूस किया कि सिर्फ फोरेंसिक साइंस में डिग्री लेना ही आपको एक स्वतंत्र व सफल एक्सपर्ट नहीं बना सकता जब तक कि आपने अपने ज्ञान का प्रयोग न्यायालयों व फील्ड में जाकर स्वंय न किया हो। फोरेंसिक साइंस के ज्ञान का उपयोग मुख्यतः न्यायालयों में ही है जहाँ सरकारी विभागों के फोरेंसिक एक्सपर्टस् अभियोजन पक्ष (प्रासीक्यूशन) की तरफ से अपनी रिपोर्ट्स न्यायालयों में देते हैं और अभियुक्तों के द्वारा किये गये अपराधों को साबित करते हैं जैसे- बलात्कार के मामलों में बायोलाजिकल सबूतों के पुष्टि की रिपोर्ट्स, हत्या या आत्महत्या के संदेहयुक्त मामलों में अपराध स्थल पर पाये गये भौतिक साक्ष्यों जैसे फ़िंगर प्रिन्टस् , रक्त के दाग , बाल, रेशा, रस्सी, जूते के निशान, फुट प्रिन्टस, हथेली के प्रिन्टस्, चाकू, छुरा, लोहे की राड, रिवाल्वर, पिस्टल या अन्य हथियार व गोलियाँ , जहर व ड्रग , प्रश्नगत दस्तावेज तथा सुसाइडल नोट्स इत्यादि की फोरेंसिक जाँच रिपोर्ट्स।
इन्ही फोरेंसिक रिपोर्टस् के आधार पर यह साबित किया जाता है कि क्या वास्तव में अभियुक्त ने अमुक अपराध किया है या वह निर्दोष है। यहाँ यह भी जान लीजिए कि एक स्वतंत्र फ्रीलांसर एक्सपर्ट, सरकारी एक्सपर्ट का क्रास इक्जामिनेश भी कर सकता है, यदि बचाव पक्ष के वकील अदालत से परमीशन ले लें। यदि सरकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट में कुछ गलतियां हैं और इस कारण कोई निर्दोष झूठा फँस रहा है तो एक फ्रीलांसर व स्वतंत्र एक्सपर्ट, सरकारी एक्सपर्ट का हर फोरेंसिक विषय में क्रास इक्जाम कर सकता है और अभियुक्त को झूठा फँसने से बचाया जा सकता है।
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आप स्वतंत्र फोरेंसिक एक्सपर्ट (गैर सरकारी) होते हुये क्या कर सकते हैं (As a Private Freelance Expert)
क्या फ्रीलांसर होते हुये आप अपना व्यवसाय कर सकते हैं?
उत्तर है - " हाँ , अवश्य। आप मेरा ही उदाहरण ले सकते हैं क्योंकि मैं सैक्शन 45 ,भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत "फ्रीलांसर फोरेंसिक डाक्युमेंट एक्सपर्ट व फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट" का कार्य (Profession) पिछले 33 वर्षो से कर रहा हूँ और मेरे द्वारा अदालतों में दाखिल फोरेंसिक रिपोर्टों पर क्रास इक्जामिनेशन के परीक्षणों के उपरान्त जो अदालती फैसले (Court Judgments) हो चुके हैं वो मेरी website -www.forensicwritingexpert.com पर लिंक के रूप में मौजूद हैं और पढ़े जा सकते हैं । बहुत सी अदालतों ने मेरी रिपोर्टस् को सही माना है।
इन अदालती फैसलों से ही एक्सपर्ट की दक्षता व कुशलता जानी जा सकती है। महज दिखावटी दावे बेमानी हैं।
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एक्सपर्ट कौन है? Who is an EXPERT ?
**** अदालत का फैसला ****
"अनुमान और अनुभव"
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अदालतों के लिए कोई वास्तविक "एक्सपर्ट" है या नहीं, इसका एक और सिर्फ एक सबूत है कि एक्सपर्ट की रिपोर्ट पर "अदालत का फैसला"। सिर्फ इन्ही जजमेंटों से एक्सपर्ट की काबलियत जानी जा सकती है। एक्सपर्ट को नियुक्त करने के पहले, क्लायंट व वकीलों को यह छानबीन करनी चाहिए कि क्या उसको विषय की गहन जानकारी है भी या नहीं। इसीलिए कुछ 'ला फर्मस्' प्री - ट्रायल कानफ्रेंसिंग करती हैं और सवाल जवाब करके एक्सपर्ट के ज्ञान को माप लेती हैं। अदालत के बाहर और अदालत के अन्दर के माहौल में बहुत फ़र्क होता है। क्रास इक्जाम में तोड़ मरोड़ के प्रश्न पूछे जाने पर एक्सपर्ट कैसे प्रतिक्रिया देगा, इसका आभास क्लायंट को पहले से पता करना चाहिए। क्रास इक्जाम के जवाब में "अनुमान" से बोलने में और "अनुभव" से बोलने में फर्क होता है।
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फ्रीलांसर एक्सपर्ट कौन होते हैं?
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यह बताना भी आवश्यक है कि सरकारी फोरेंसिक एक्सपर्टस् सिर्फ सरकारी अभियोजन पक्ष (प्रासीक्यूशन) की तरफ से ही अपनी जाँच रिपोर्टस् दे सकते हैं और वे बचाव पक्ष ( डिफैंस एवीडैंस) की तरफ से (अभियुक्त के लिए) फोरेंसिक रिपोर्टस् नहीं दे सकते। दीवानी मामलों में वादी, प्रतिवादी की ओर से सिविल के मुकदमों में भी 90% रिपोर्टस् "स्वतंत्र एक्सपर्ट" (फ्रीलांसर) ही देते हैं तथा अन्य फोरेंसिक विषयों पर सरकारी एक्सपर्ट का क्रास इक्जाम भी कर सकते हैं।
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एक फ्रीलांसर व स्वतंत्र एक्सपर्ट, अभियुक्तों के वकीलों द्वारा भी फौजदारी मामलों में नियुक्त किया जा सकता है।
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आपको ज्ञात होना चाहिये कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) के सैक्शन 45 में "एक्स्पर्ट" के विषय में वर्णित किया है कि जिस व्यक्ति ने भी "हस्तलेख", "अंगुलि चिन्ह" दो विषयों संम्बंधित "ज्ञान" या "योग्यता" (SKILL) हासिल की है, वह एक्सपर्ट (EXPERT) है।
अतः यदि आपने इन विषयों का "विस्तृत अध्ययन प्रैक्टिकल्स के साथ किया है और "कार्यकारी व व्यवहारिक योग्यता" प्राप्त की है या आपने किसी वास्तविक "अदालत अनुभवी" सीनियर एक्सपर्ट के साथ या उसके दिशा निर्देश के तहत कार्य किया है तो आपकी इन "दो विषयों" पर फोरेंसिक रिपोर्टस् न्यायालय में स्वीकार्य (Admissible) होगी।
अन्य जानकारियों के लिए वाट्स एप नम्बर 9811121691 पर लिख कर संपर्क करें।
धन्यवाद
Dr. V C Mishra, LL. B. & Ph.D.
in Forensic Science
Associate Professor,
Forensic science
Amity University, Noida
Also-
Practising Forensic Document Expert for Courts (33 Years)
and Lawyer
My Associate Forensic Experts-
Mr M. S. Mishra & Manas Mishra
फीस कैसे निर्धारित है जी